Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव का बिगुल बज चुका है. अमृतसर से लेकर लखनऊ तक, लखनऊ से लेकर इंफाल तक और इंफाल से लेकर पणजी तक सियासी सरगर्मी चरम पर है.अहम ये भी है कि इन पांच राज्यों में से 4 में बीजेपी सत्ता में है. लिहाजा बीजेपी सत्ता में वापसी तो विपक्षी दल सत्ता प्राप्त करने की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं.अब जनता किसे सिर माथे पर बिठाएगी इसका फैसला 10 मार्च को जाएगा.लेकिन हम आपको बता रहे हैं इससे आगे की पिक्चर.
दरअसल 10 मार्च को न सिर्फ इन पांच राज्यों के मुख्यमंत्री का फैसला होगा बल्कि ये भी तय होगा कि देश की सियासत की दशा और दिशा क्या होगी...ये तय होगा कि देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव कौन जीतेगा...ये भी तय होगा राज्यसभा में किसका बहुमत होगा साथ ही साथ तय होगी कई बड़े नामों और पार्टियों की किस्मत...कैसे?... आगे जानते हैं...
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चुनाव नतीजों का सबसे पहला असर इस साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा क्योंकि अगर पांच राज्यों के परिणाम पिछली बार की तरह आए तब तो सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी पसंद का राष्ट्रपति आसानी से चुन लेगी, लेकिन अगर उलटफेर हुए तो बीजेपी को दिक्कत हो सकती है. जानिए कैसे?
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जाहिर है इस बार यूपी में सीटें कम हुईं तो बीजेपी को मुश्किल होगी. इस बार अब पांच राज्यों में कुल 690 विधायक चुने जाने हैं. विपक्ष ने बेहतर प्रदर्शन किया तो राष्ट्रपति चुनाव में BJP को मुश्किल होगी.
बता दें कि चुने हुए विधायक और सांसद राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेते हैं, ऐसे में जिस पार्टी के पास सबसे अधिक विधायक और सांसद होते हैं उसके उम्मीदवार के राष्ट्रपति चुनाव जीतने की संभावना अधिक रहती है.
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इन पांच राज्यों के परिणाम का असर राज्यसभा पर भी पड़ेगा क्योंकि जुलाई में ही राज्यसभा की 73 सीटों पर भी चुनाव होंगे.
अप्रैल, जून और जुलाई माह में राज्यसभा की 73 सीटें खाली हो रही हैं
इन पांच राज्यों से 19 सीटें आती हैं, लिहाजा चुनाव परिणाम अहम हो जाते हैं
कई राज्यों में बीजेपी पहले ही सत्ता से बाहर हुई है लिहाजा उसकी सीटें घट सकती हैं
दरअसल इन पांच राज्यों के चुनाव कांग्रेस के अंदरूनी गणित और गांधी परिवार के प्रभुत्व के लिए बेहद अहम हैं. क्योंकि देश की ये सबसे पुरानी पार्टी न सिर्फ नेतृत्व के सवाल से जूझ रही है बल्कि यहां गुटबाजी भी चरम पर है...चाहे बात पंजाब की हो या फिर उत्तराखंड और गोवा की....अहम ये है कि खुद प्रियंका भी पहली बार यूपी में खुलकर मैदान में हैं.
वैसे ये विधानससभा चुनाव कांग्रेस के अलावा कई क्षेत्रीय क्षत्रपों की सियासी ताकत का भी फैसला करेंगे. आम आदमी पार्टी पंजाब के अलावा गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है तो टीएमसी गोवा में अपनी सियासी पारी शुरू करने की हसरत पाले हुए है. अगर अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की पार्टी ने अपनी छाप छोड़ दी तो उसका असर देश की राजनीति पर साफ-साफ देखने को मिलेगा.
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