यूपी में चुनाव है. ऐसे में सियासी पारा चढ़ना लाजिमी है. शनिवार को चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले डीडी न्यूज से बात करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आगामी चुनाव 80 बनाम 20 फीसदी के बीच होगा. इस बयान को लेकर अब सियासी बवाल शुरू हो गया है.
सीएम योगी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, '' 80 फीसदी समर्थक एक तरफ होगा, 20 फीसदी दूसरी तरफ होगा. मुझे लगता है कि 80 फीसदी सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे जबकि 20 फीसदी ने हमेशा विरोध किया है, आगे भी विरोध करेंगे लेकिन सत्ता भाजपा की आएगी. भाजपा फिर 'सबका साथ सबका विकास' के अभियान को आगे बढ़ाने का काम करेगी.''
उन्होंने कहा कि कोई भारत विरोधी या हिंदू विरोधी तत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को स्वीकार नहीं करेगा. सीएम योगी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि हिंदू विरोधी तत्व पहले भी मुझ पर भरोसा नहीं करते थे, और आगे भी नहीं करेंगे. इतना ही नहीं सीएम योगी ने कहा कि अगर मैं अपनी गर्दन काटकर ऐसे लोगों के सामने प्लेट में रख दूं तो भी इन्हें मुझ पर यकीन नहीं होगा.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हमें ऐसे लोगों को परवाह नहीं है. क्योंकि मेरी प्रतिबद्धता पूरे उत्तर प्रदेश की जनता से है. प्रदेश के लोगों को सुरक्षा मिले, कानून का शासन स्थापित हो. हमारी पार्टी इन्हीं लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद पीएल पुनिया ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हमेशा ध्रुवीकरण की राजनीति करती है. अगर पांच साल सरकार ने विकास के काम कर लिए होते तो आज यह कहने की नौबत न आती.
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वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और विधायक राजेंद्र चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री केवल उस मतदान प्रतिशत का उल्लेख कर रहे थे जो इन चुनावों में उन्हें मिलेगा. बीजेपी वास्तव में केवल 20 प्रतिशत की पार्टी है और 80 प्रतिशत लोग उसके खिलाफ मतदान करेंगे. हालांकि 80 प्रतिशत बनाम 20 प्रतिशत के बयान का उद्देश्य सांप्रदायिक रंग देना है लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं देंगे, और लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए लोग वोट करेंगे.