UP Elections 2017 : मोदी की प्रचंड लहर में भी बीजेपी को हराने वाले दिग्गज

Updated : Feb 22, 2023 11:57
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Editorji News Desk

उत्‍तर प्रदेश (UP Election) की राजनीति में हमेशा से बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है. अपने रसूख के दम पर ये 'माननीय' चुनावी बयार का रुख अपनी तरफ मोड़ने में माहिर होते हैं. यूपी के रण में आखिरी फेज में पूर्वांचल में वोटिंग हुई. इस चुनावी लड़ाई में भी तमाम तरह के दावे किए गए. हालांकि, 2017 विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल में कई ऐसी सीटें थी जहां प्रचंड मोदी लहर के बावजूद कुछ सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. आइए एक नजर डालते हैं ऐसे दिग्गजों पर जिन्होंने 2017 में बीजेपी की बंपर जीत के बावजूद पार्टी को अपनी सीटों पर शिकस्त दी.

अमनमणि त्रिपाठी
महराजगंज की नौतनवा सीट उन चुनिंदा सीटों में से है, जहां कभी कमल नहीं खिल सका है. पिछली बार बीजेपी की प्रचंड लहर में भी यहां से निर्दलीय खड़े हुए बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी ने जेल में रहते हुए चुनाव जीता था. 2017 में अमनमणि त्रिपाठी ने सपा के कुंवर कौशल किशोर सिंह को 32,256 वोटों के अंतर से हराया था.

विनय शंकर तिवारी
चिल्लूपार सीट से सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे और चिल्लूपार के विधायक विनय शंकर तिवारी को आपना उम्मीदवार घोषित किया. बसपा के टिकट पर 2017 में वह पहली बार चिल्लूपार सीट से भाजपा कंडीडेट राजेश त्रिपाठी को हराकर विधायक बने थे.

अजय कुमार लल्लू
अजय, साल 2012 में पहली बार विधायक चुने गए थे तब उन्होंने भाजपा के नंद किशोर मिश्रा को 5860 वोटों से हराया था, लेकिन दिनों दिन उनकी लोकप्रियता बढ़ती रही. 2017 के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रचंड लहर में भी तमकुहीराज की जनता ने फिर से उन्हें विधायक चुना. 2017 में अजय ने भाजपा के जगदीश मिश्रा को 18 हजार वोटों से मात दी.

मुख्तार अंसारी
यूपी चुनाव में मऊ सदर सीट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी सुभासपा के टिकट पर लड़ रहे हैं. 2017 में मुख्तार बसपा से जीते थे, इस बार वह जेल में हैं. 1996 से लगातार मुख्तार ही यहां से विधायक बनते रहे हैं. बीजेपी से इस बार अशोक सिंह को कैंडिडेट बनाया है.

शैलेंद्र यादव ललई
शाहगंज विधानसभा सीट से सपा ने शैलेंद्र यादव ललई को ही चुनाव मैदान में उतारा है. सपा के उम्मीदवार शैलेंद्र यादव ललई ने 2017 में सुभासपा के राणा अजीत प्रताप सिंह को 9 हजार 162 वोट से हरा दिया था.

रामगोविंद चौधरी
रामगोविंद चौधरी अब तक 8 बार विधायक चुने गए हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया. इस चुनाव में रामगोविंद चौधरी को 51,201 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को 49,574 वोट मिले.

जगदीश सोनकर
जौनपुर के मछलीशहर सीट पर साल 2017 में मोदी लहर में भी सपा ने जगदीश सोनकर को मैदान में उतारा था, जिन्होंने 72368 मत पाकर लगातार चार बार जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था. हालांकि इस चुनाव में दूसरे स्थान पर भाजपा की अनीता रावत थी, जिन्हें 68189 मत मिले थे.

 

पारसनाथ यादव
वर्ष 2017 के चुनाव में प्रचंड मोदी-योगी लहर के बावजूद वह फिर से मल्हनी सीट पर निर्वाचित होकर लखनऊ पहुंचने में कामयाब रहे. मल्हनी सीट पर एसपी के पारसनाथ यादव का लंबे समय से कब्जा रहा है. 2020 में पारसनाथ यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे लकी यादव को जीत मिली. जौनपुर की मल्हनी सीट को सपा के लिए इस बार भी प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जा रहा है.

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