UP Election 2022: स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से 100 सीटों पर बीजेपी को होगा नुकसान?

Updated : Jan 12, 2022 15:00
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Editorji News Desk

यूपी के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. इसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की. सोशल मीडिया पर दोनों के मुलाकात की फोटो खूब वायरल हो रही है. बताया जा रहा है कि मौर्य बीजेपी में अपने घटते क़द से परेशान थे.

स्वामी प्रसाद मौर्य खुद पूर्वांचल के पडरौना से विधायक हैं, बेटी पश्चिमी यूपी के बदायूं से सांसद और बेटे को अवध के रायबरेली के ऊंचाहार से चुनाव लड़ाया था. माना जा रहा है कि अपने बेटे को सेट करना चाहके हैं इसलिए पार्टी छोड़ी. हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य खुद क्या कहते हैं सुनिए.

बताया जा रहा है कि यह सब सपा प्रमुख अखिलेश यादव की रणनीति के तहत हो रहा है. अगर मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हुए तो पार्टी की पिछड़ों को साथ लाने की मुहिम को बल मिलेगा. स्वामी प्रसाद मौर्य की पहचान पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में है. इनकी पकड़ गैर-यादव वोटों में बताई जाती है. जानकार बताते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 100 सीटों पर इनका काफी प्रभाव है.

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इन इलाकों में स्वामी प्रसाद का दबदबा

  • मौर्य कुशीनगर के पडरौना से विधायक हैं
  • रायबरेली के ऊंचाहार, शाहजहांपुर और बदायूं तक प्रभाव
  • बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं क्षेत्र से लोकसभा सांसद
  • यादव और कुर्मी के बाद ओबीसी समाज की तीसरी बड़ी जाति मौर्य 
  • स्वामी मौर्य खुद इसी जाति से ताल्लुक रखते हैं
  • काछी, मौर्य, कुशवाहा, सैनी और शाक्य जैसे होते हैं उपनाम
  • मौर्य आबादी यूपी में 6 फीसदी के आसपास
  • 100 सीटों पर मौर्य के जाने का हो सकता है असर

यूपी की राजनीति में गैरयादवों का बहुत महत्व है. पिछली बार बीजेपी की यही रणनीति थी कि कैसे इन लोगों को जोड़ा जाए. एक नजर इनके समीकरण पर...

यूपी में गैरयादव

  • लगभग 52 फीसदी पिछड़ा वोट बैंक
  • 43 फीसदी वोट बैंक गैर यादव बिरादरी का
  • बंटा हुआ है यह बिरादरी, किसी एक पार्टी में नहीं
  • गैर यादव वोटों पर सभी दलों की है निगाह

एक समय में मायावती के बेहद करीबी रहने वाले मौर्य का राजनीतिक करियर बेहद लंबा रहा है. वह काफी प्रभाव वाले नेता माने जाते रहे हैं. एक नजर डालते हैं उनके राजनीतिक करियर पर...

स्वामी प्रसाद मौर्य का सफर

  • 1980 में की थी राजनीति की शुरुआत
  • लोक दल के यूथ विंग के थे सदस्य
  • 1991 में जनता दल से जुड़े मौर्य
  • 1996 में बीएसपी में शामिल हुए
  • 2008 में बने बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष
  • बाद में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव भी बने
  • बाबू सिंह कुशवाहा के बाद बढ़ा ओहदा
  • बसपा से चार बार विधायक, एक बार MLC
  • 2016 में बसपा छोड़कर बीजेपी से जुड़े
  • 2017 में बीजेपी के टिकट पर पडरौना से जीते
  • मायावती सरकार से योगी सरकार में रहे मंत्री 

स्वामी प्रसाद मौर्य के योगी कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में हलचल तेज हो गई है. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें मनाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा है, मैं नहीं जानता हूं, उन्होंने क्यों इस्तीफा दिया. उनसे अपील है कि बैठकर बात करें जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं.

बता दें, एक दौर में केशव मौर्य, स्वामी मौर्य के बीजेपी में शामिल करने के विरोधी थे. बावजूद इसके पार्टी हाई कमान ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर दांव लगाया. इससे समझा जा सकता है कि स्वामी मौर्य का अपनी जाति पर कितना प्रभाव है.

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BJP candidateSwami Prasad Maurya

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