यूपी में आजकल प्रियंका गांधी ( Priyanka Gandhi ) हर जगह हैं और ऐसा लगता है कि वह हमेशा अपने विरोधियों के खिलाफ मजबूत लड़ाई के लिए तैयार भी हैं - चाहे यह टकराव यूपी पुलिस से हो, या राज्य की बीजेपी सरकार ( UP BJP Government ) से... हम इस बार बात कर रहे हैं प्रियंका के नए रूप की... अब वह ज्यादा बहादुर दिखाई दे रही हैं, मैदान में उतरने से हिचक नहीं रही हैं और आमने-सामने की लड़ाई से पीछे भी नहीं हट रही हैं....
कांग्रेस का यूपी कैंपेन ( Congress UP Campaign ), नारी शक्ति के विचार पर आधारित है. महिलाओं को सुरक्षा और अवसर की गारंटी देने वाले एक अलग घोषणापत्र से लेकर, चुनावी टिकट की 40% सीटें उनके लिए ही आरक्षित करने तक... इस बार कांग्रेस ने एक बड़ा चुनावी दांव खेलकर यही संदेश देने की कोशिश की है कि राजनीतिक ढांचे के बढ़ने में महिलाएं एक अहम हिस्सा हैं. कांग्रेस के 'वुमनिफेस्टो' में दूसरे कुछ वादों में शामिल है:
- 50% से ज्यादा फीमेल वर्कफोर्स वाले कारोबार को टैक्स छूट सहित विशेष प्रोत्साहन
- सभी सरकारी दफ्तरों में अनिवार्य क्रेच फैसिलिटी
- 12वीं कक्षा के छात्रों को स्मार्टफोन दिया जाएगा, जबकि ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वालों को स्कूटी दी जाएगी
- महिलाओं के लिए मुफ्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट
- प्रदेश की हर महिला को साल में तीन मुफ्त गैस सिलेंडर
- पुलिस फोर्स में महिलाओं को 25 फीसदी नौकरी और सभी थानों में महिला कांस्टेबलों की नियुक्ति
जब दूसरे दल, भगवा समर्थकों और लाल टोपी वालों की भीड़ जुटाते हैं, कांग्रेस का समर्थन ऐसी युवा लड़कियों से आ रहा है, जो 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' मैराथन में हिस्सा ले रही हैं. यह एक ऐसा नारा है जिसे कांग्रेस और प्रियंका ने यूपी चुनाव में जोर शोर से आगे बढ़ाया है, और पक्के तौर पर अब प्रियंका रास्ते में आने वाले किसी भी मुकाबले के लिए ज्यादा आत्मविश्वास में दिखाई देती हैं.
कैमरों के लिए प्रियंका गांधी अजनबी नहीं हैं और कई मौकों पर वह यूपी पुलिस के सामने भी निर्भीक दिखाई दी हैं. हैरानी की बात ये है कि प्रियंका की प्लानिंग को नाकाम करने कोशिश ने उनके पक्ष को और मजबूत ही किया है.
- 10 लोगों के मारे जाने के बाद पुलिस ने उन्हें सोनभद्र जाने से रोकने की कोशिश की - वह कोशिश नाकाम रही.
- हाथरस गैंगरेप और मर्डर के बाद फिर से उन्हें रोकने की कोशिश की गई - पर नाकामी मिली
- आगरा में हिरासत में मौतें, लखीमपुर खीरी हिंसा, हर बार उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की - हर बार विफलता ही हाथ लगी
कुछ लोग जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका की तुलना इंदिरा गांधी से करते हैं, वहीं जमीनी हकीकत थोड़ी अलग नजर आती है. यह पुरानी पार्टी अब वह नहीं है जैसी चार दशक पहले थी. यूपी में कांग्रेस की डूबती तकदीर, चुनावों के बाद सिर्फ बद से बदतर ही हुई है. अमेठी और रायबरेली में ताबड़तोड़ प्रचार के बावजूद प्रियंका के रिकॉर्ड पर गर्व करने की कोई वजह नहीं दिखती है - दोनों सीटों पर, 2017 के चुनावों में कांग्रेस की शिकस्त हुई और इसके बाद अमेठी के पारिवारिक गढ़ में भी पार्टी को अपमान देखना पड़ा - राहुल गांधी 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए.
हाल के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में महिलाएं, पुरुषों से आगे निकल चुकी हैं. यूपी की मतदाता सूची में इस समय 6.98 करोड़ महिला मतदाता हैं. कागज पर राज्य में जाति और धर्म की सामान्य राजनीति से हटकर महिला मतदाताओं से जुड़ा एक पक्ष नजर आता है लेकिन क्या यह धरातल पर वोटर के विचार में कोई परिवर्तन ला पाएगा.
403 सीटों वाली विधानसभा में, सिर्फ 7 विधायकों के साथ - यूपी चुनाव में कांग्रेस की यात्रा निश्चित रूप से प्रियंका की हालिया यात्राओं की तुलना में कठिन रहने वाली है. क्या महिलाओं के मुद्दों पर उनका ध्यान और असली राजनीति खेलने की नई आदत, सत्ता से कांग्रेस की दूरी खत्म कर पाएगी?
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