UP Election Results 2022: यूपी की सत्ता पाने से क्यों चूके अखिलेश, 5 बड़ी वजहें जानें

Updated : Mar 10, 2022 15:41
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Editorji News Desk

यूपी चुनाव 2022 के नतीजे सामने हैं. तमाम गठबंधनों, छोटे दलों का साथ, किसान आंदोलन, कथित तौर पर मुस्लिम-यादव वोटों (Muslim Yadav Voters) का पार्टी में एकजुट होना भी पार्टी को सत्ता में नहीं ला सका. हालांकि अकेले अखिलेश ने बीजेपी की सेना से मोर्चा तो खूब लिया लेकिन नतीजों का रंग वैसा बिल्कुल नहीं रहा, जिसकी उन्हें उम्मीद थी. आइए जानते हैं, ऐसी कौन सी वजहें रहीं जिनकी वजह से अखिलेश इस लड़ाई में फिर नाकाम हुए...

सपा के MY पर भारी, बीजेपी का MY

चुनाव से पहले ऐसी संभावनाएं थी कि मुस्लिम और यादव वोट एकजुट होकर एसपी के पक्ष में वोट करेगा. पश्चिमी यूपी के नतीजे ऐसा इशारा भी कर रहे हैं लेकिन यूपी की सभी 403 सीटों पर ऐसा दिखाई नहीं दिया. विधानसभा के इस दंगल में सपा के MY पर बीजेपी का MY भारी रहा, बीजेपी का MY यानी, मोदी और योगी... कई मौकों पर पीएम ने खुद डबल इंजन की सरकार का जिक्र भी किया. जनता ने बेहतर सामंजस्य की स्थिति को समझा और अपना मत इसी जोड़ी पर दिया.

नहीं बदल सकी छवि

2012 में Akhilesh Yadav ने जिस दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उसके तुंरत बाद ही मंच पर Samajwadi Party के कार्यकर्ता चढ़ गए और जमकर हंगामा किया. पार्टी की ये वह छवि थी जो आज भी रह रहकर कई जगहों पर सामने आती रहती है. एसपी अपने कार्यकर्ताओं की इस इमेज को बदल सकने में नाकाम रही. कार्यकर्ताओं की हुल्लड़बाजी के साथ ही, पार्टी के शासनकाल में अपराध का दौर भी जनता भुला नहीं सकी है. रही सही कसर 2022 के चुनाव में अखिलेश के टिकट वितरण ने पूरी कर दी. नाहिद हसन से लेकर मुख्तार अंसारी के परिवार को चुनाव में उतारना. मुख्तार अंसारी के बेटे ने आखिरी चरण से पहले जिस तरह हिसाब-किताब चुकाने वाला भाषण दिया, उसने जनता के मन में समाजवादी पार्टी की 'आपराधिक छवि' को लेकर एक अमिट छाप छोड़ने का ही काम किया.

सुरक्षा व्यवस्था

यूपी में Yogi Adityanath सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे हावी तो रहे लेकिन एक बात विरोधी भी मानने लगे, और वह ये कि अपराध पर लगाम तो लगी है. इस अपराध मुक्त माहौल में ही बेटियां स्वच्छंद होकर स्कूल पहुंचने लगी, तो कारोबारियों में अपनी संपत्ति की चोरी का खतरा भी कम हुआ. सुरक्षा की इस गारंटी की वजह से ही अखिलेश को माइनस और योगी को प्लस अंक मिले.

2012-17 का शासन

2012 में जब अखिलेश की सरकार बनी तब भी सैफई महोत्सव की खासी चर्चा हुई. Saifai Mahotsav में पूरी सरकार की हाजिरी लगी. करोड़ों रुपये खर्च किए गए. इसके अलावा, आपराधिक गतिविधियां, दंगे, मु्स्लिम तुष्टिकरण इन मुद्दों पर अखिलेश को विरोध ही झेलना पड़ा. राज्य की सरकार हमेशा बैकफुट पर रही. इन सभी मुद्दों को जिस पार्टी ने भुना डाला, उसका नाम था भारतीय जनता पार्टी.

योजना का क्रियान्वयन

Akhilesh Government के कार्यकाल में बांटे गए लैपटॉप अभी भी गांवों में दिखाई ज़रूर देते हैं लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में योगी सरकार कहीं आगे रही. शौचालय से लेकर मुफ्त राशन की योजना ने असरदार रंग दिखाया. केंद्र की सरकार से बेहतर तालमेल की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना भी परवान चढ़ी और पीएम किसान निधि ने भी सरकार के पक्ष में माहौल बनाया.

देखें- UP Elections 2022 Results Live : योगी आदित्यनाथ ने बदल दिया 35 साल का इतिहास, जानें कैसे किया ये करिश्मा!

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