Agnipath Scheme: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 4 साल के लिए सैनिकों की भर्ती वाली 'अग्निपथ' स्कीम का ऐलान किया है. सरकार को भरोसा है कि इस योजना के आने से देश को विश्व की बेहतरीन सेना मिलेगी और युवाओं को भी रोजगार का अवसर मिलेगा. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि इस स्कीम से सेनाओं के पास युवा शक्ति होगी. वहीं अग्निवीर सेवा के दौरान सर्वोच्च बलिदान पर परिवार को करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी, जबकि दिव्यांग होने की स्थिति में 48 लाख रुपये की राहत राशि मिलेगी.
अधिकारियों के मुताबिक अग्निपथ मॉडल के तहत सेना में (PBOR) रैंक से नीचे के अधिकारियों की भर्ती होगी. 4 साल की सेवा में 6 महीने की ट्रेनिंग भी है. यानी अग्निपथ स्कीम के तहत साढ़े तीन साल की नौकरी में सैनिकों को प्रति माह 30 हजार से 40 हजार रुपये तक की सैलरी दी जाएगी. इसके अलावा सैनिकों को 'अग्निवीर स्किल सर्टिफिकेट' भी मिलेगा. अधिकारियों का कहना है कि इस सर्टिफिकेट से जवानों को साढ़े तीन साल बाद अन्य नौकरी हासिल करने में मदद मिलेगी. हालांकि अग्निवीर ग्रेच्युटी और पेंशन संबंधी लाभों के हकदार नहीं होंगे.
सरकार की स्कीम का विरोध क्यों?
रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल ने आजतक से बातचीत के दौरान सरकार की इस स्कीम को बेहद खराब बताते हुए कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
- 46 हजार लोगों को एक साथ भर्ती किया जाएगा, लेकिन चार साल बाद होंगे निराश
- आर्मी या दूसरी फोर्सेस से रिटायर होने पर भी गार्ड की नौकरी ही मिलती है, कॉर्पोरेट वर्ल्ड भी नहीं लेता
- इन अग्निवीरों को आसानी से किया जा सकता है रेडिकलाइज, देश के लिए साबित हो सकते हैं चुनौती
- 4 साल बाद अग्निवीरों को लगेगा कि उनका इस्तेमाल किया, सर्टिफिकेट पकड़ाया और फेंक दिया
- रिटायर होने वाले आर्मी, एयरफोर्स या नेवी जवानों में से 1 या 2% को ही मिलती है नौकरी
- आर्मी में बेहतर जवान को तैयार होने में लगते हैं 7-8 साल, अग्निवीर 6 महीने में कैसे होंगे ट्रेंड
- अग्निवीर जवानों को हमेशा अपने परिवार की चिंता होगी, वह 3-4 साल पूरा करने की फिराक में रहेगा
- 15 साल नौकरी होगी तभी कोई जान हथेली पर रख कर युद्ध लड़ेगा
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वहीं लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद ने आजतक से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार को भले ही इस स्कीम में पैसे का फायदा दिख रहा हो. लेकिन इससे देश की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है. हम युद्ध जीतने के लिए फौज तैयार करते हैं. युद्ध में हम रनर अप नहीं बन सकते हमें विनर बनना पड़ेगा, तभी देश की सुरक्षा की जा सकती है.
रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (रिटा.) वी. महालिंगम ने कहा कि मेहमान सैनिकों (Guest Soldiers) के दम पर कोई सेना युद्ध नहीं जीत सकती. ये एक बड़ी गलती है. सरकार दो तरह की गलतफहमियों में जी रही है. एक ये कि उनके पास पर्याप्त जवान हैं, दूसरी ये कि किसी युद्ध में बड़ा प्रभाव हथियार पैदा करते हैं.