Drink and Drive Law: हाल ही में एक्टर दिलीप ताहिल को साल 2018 के एक केस में दो महीने की जेल हुई है. ये मामला है ड्रिंक एंड ड्राइविंग का...जी हां, नशे में धुत होकर ड्राइव करते हुए उन्होंने एक ऑटो में टक्कर मारी, जिसमें एक युवती घायल हुई. तभी से ये मामला कोर्ट में चल रहा था. ये तो हुई एक केस की बात..ऐसे कई सारे केसेस हैं.
त्याहारों के सीजन में तो ऐसे मामले बढ़ जाते हैं. तो आज हम आपको उस एक गलती के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको सलाखों के पीछे डाल सकती है. आज 'बात आपके काम की' में जानिये कि ड्रिंक एंड ड्राइव से जुड़ा क्या कानून है और इसे तोड़ने पर क्या सजा हो सकती है.
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बता दें कि भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाना दंडनीय अपराध है. मोटर व्हीकल एक्ट 2019 की धारा 185 के तहत इसे प्रतिबंधित किया गया है.
हां, अगर ड्राइवर के प्रति 100 मिलीलीटर ब्लड में 30 मिली ग्राम शराब की मात्रा पाई जाती है तो वह सुरक्षित है. इससे ज्यादा मात्रा पाए जाने पर पुलिस कार्रवाई करती है. पुलिस ब्रेथ एनालाइजर मशीन के जरिए पता करती है कि शराब की मात्रा कितनी है.
इसके बाद आरोपी का मेडिकल टेस्ट होता है. उसे अगले दिन कोर्ट में जज के सामने पेश किया जाता है. कोर्ट संबंधित कानून की धाराओं के तहत 6 महीने तक जेल की सजा सुना सकती है. साथ ही 2 से 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा दोबारा से पकड़े जाने पर 15 हजार रुपये का भारी चालान और 2 साल तक की सजा हो सकती है.
इसके साथ ही बिना ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) के गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है. हो सके तो अपनी गाड़ी का बीमा जरूर करा के रखें, नहीं तो 4,000 रुपये के चालान के साथ ही 3 महीने की जेल की सजा काटनी पड़ सकती है और कम्युनिटी सर्विस (Community Service) भी देना पड़ेगा.
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इनके अलावा सिग्नल जंप (Break Signal) करने पर 1 साल की सजा, 1000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक का चालान देना पड़ सकता है. बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चलाने पर 2,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है. गाड़ी को जब्त और ड्राइविंग लाइसेंस के सस्पेंशन (License Suspend) के साथ ही 3 महीने तक की सजा भी हो सकती है. इसके साथ ही बिना सीट बेल्ट के गाड़ी चलाने पर 1,000 रुपये का चालान काटा जा सकता है.
अब पुलिस ने गाड़ी को जब्त कर लिया तो उसे दोबारा से भी पाया जा सकता है. इसके लिए गाड़ी मालिक को कोर्ट में एप्लीकेशन देना होगा. इसे सुपरदारी भी कहा जाता है. कोर्ट गाड़ी की इन्वेस्टिगेशन कराएगी. जैसे- गाड़ी पर कोई क्रिमिनल केस तो नहीं है. इसके बाद गाड़ी मालिक को वाहन सौंप दिया जाता है.
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इसके लिए वकालतनामा, गाड़ी के सभी डॉक्यूमेंट्स, डीएल, ओनर का पहचान पत्र और सुपरदारी बॉन्ड जरूरी होता है. हालांकि कोर्ट कंडीशन देती है, जैसे जब जरूरत हो गाड़ी को दोबारा से कोर्ट में पेश किया जाएगा.