Baat Aapke Kaam Ki: सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने का है प्लान, तो इन बातों को जरूर जानें

Updated : Oct 16, 2023 06:35
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Sakshi Gupta

Old Car Buying Tips: घर में एक गाड़ी हो तो कई काम आसान हो जाते हैं. अचानक कहीं जाना हो या फिर लॉन्ग ड्राइव का प्लान हो...लेकिन गाड़ी खरीदने के लिए अच्‍छी खासी रकम चाहिए होती है, इसलिए तो मिडिल क्लास के लोग सेकंड हैंड गाड़ी खरीदना पसंद करते हैं. लेकिन इसमें भी काफी रिस्क होता है, जैसे- गाड़ी कितने समय तक चल पाएगी, थोड़े ही दिन में खराब ना हो जाए वगैरह-वगैरह.

अगर आप भी सेकंड हैंड कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो ये खबर आपके काम आएगी. आज 'बात आपके काम की' में हम आपको बताएंगे कि सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखें. ताकि आपको बाद में नुकसान ना उठाना पड़े.

गाड़ी के इंजन को सही तरीके से चेक करें

कई बार लोग गाड़ी खरीदने जाते हैं तो सिर्फ रंग देखकर ही इंप्रेस हो जाते हैं. पर ध्यान रहे, रंग रोगन कराकर डिस्प्ले करना ही तो ब्रोकर का काम है और आप इससे झांसे में आ जाते हैं. गाड़ी की हालत बाहर से ही देखकर इंप्रेस ना हों.

कार के इंजन को खासतौर पर चेक करें. हो सके तो आप अपने साथ किसी मैकेनिक को ले जाएं, इससे आप गाड़ी की असली कंडीशन के बारे में जान सकेंगे. अगर आपने गाड़ी खरीदते समय इंजन पर ध्‍यान नहीं दिया, तो भविष्‍य में आपको इसके लिए अच्‍छा खासा पैसा खर्च करना पड़ सकता है.

ऑनलाइन नहीं खरीदें सेकंड हैंड गाड़ी

सेकंड हैंड गाड़ी को ऑनलाइन खरीदने से जितना हो सके उतना बचें. ऑफलाइन ही गाड़ी को खरीदें. ऑनलाइन में ठगे जाने के चांसेस बढ़ जाते हैं. बेहतर होगा कि अगर आप एक टेस्ट ड्राइव लें और गाड़ी के फीचर्स को अच्‍छी तरह से चेक करें. इंजन ऑयल चेक कर लें कि है या नहीं. क्योंकि बिना इंजन ऑयल के गाड़ी चलाने पर इंजन सीज हो सकता है.

गाड़ी के पेपर्स जरूर चेक कर लें

गाड़ी के पेपर्स सबसे ज्यादा जरूरी हैं. सेकंड हैंड गाड़ी खरीदते समय आरसी, पीओसी और इंश्योरेंस जैसे पेपर्स को जरूर चेक करें. आरसी गाड़ी का होने का मतलब है कि गाड़ी कब बनी, कब रजिस्टर्ड हुई, मॉडल नंबर, चेसिस नंबर, कलर, बॉडी टाइप सब कुछ इस कार्ड पर लिखा होता है. 

कार की डेप्रिसिएशन वैल्यू पर दें ध्यान

पुरानी कार खरीदने से पहले इसकी डेप्रिसिएशन वैल्यू पर स्पेशल ध्यान दें. डेप्रिसिएशन का मतलब है कि कार की वैल्यू में कितने की गिरावट आई है. कार जैसे-जैसे पुरानी होती जाती है. वैसे-वैसे उसकी वैल्यू में भी गिरावट दर्ज की जाती है. नई कारों को डेप्रिसिएशन रेट कम होता है.

ज्यादा पुरानी गाड़ी को नहीं खरीदें

कई बार लोग पुरानी गाड़ी सस्ते में लेने के चक्कर में इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि वह 14-15 साल पुरानी है. कई जगह राज्य सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को चलाने पर रोक लगा दी है. ऐसे में सस्ते के चक्कर में इस तरह की गलती करने से बचें.

इसके अलावा ये भी देखें कि गाड़ी पर कोई लोन तो नहीं चल रहा है. गाड़ी पर कोई चालान तो नहीं है. अगर RC पर बैंक का नाम लिखा है, तो सबसे पहले कार बेचने वाले से बैंक की NOC जरूर लें. वरना गाड़ी ट्रांसफर कराने में दिक्कत आएगी. कार का फ्रेम और अलाइमेंट, कार के माइलेज के साथ ही कार की पूरी हिस्ट्री को खंगाल लेना जरूरी है.

आपकी सहूलियत के लिए बता दें कि आज के समय में कई कार कंपनियां खुद के प्री-ओन्ड कार स्टोर्स चलाती हैं. आप वहां से भी पुरानी कार को भी खरीद सकते हैं.

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