Baat Aapke Kaam Ki: सैलरी स्लिप में CTC, ग्रॉस सैलरी, DA-HRA क्या होता है, जानें यहां विस्तार से...

Updated : Oct 27, 2023 06:34
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Sakshi Gupta

Salary Slip: नौकरीपेशा वालों के लिए सबसे जरूरी डॉक्यूमेंट पे स्लिप होता है. चाहे बैंक से लोन लेना हो या नई नौकरी, सैलरी स्लिप देकर ही आपका काम बन पाता है. सैलरी स्लिप में कई चीजें शामिल होती हैं. अगर आप भी नौकरी करते हैं तो आपको इन बातों को जरूर जानना चाहिये. आज 'बात आपकी काम की' में हम सीटीसी (CTC), ग्रॉस सैलरी (Gross Salary), डीए (DA)- एचआरए (HRA) आदि सभी प्वॉइंट्स को विस्तार से जानते हैं.

सैलरी स्लिप का महत्व (Importance of salary slip)

सैलरी स्लिप का काफी महत्व है. जैसे- ये इस बात का प्रमाण होता है कि आप नौकरी कर रहे हैं कि नहीं. इससे अगली जॉब को खोजने में आसानी होगी. आप टैक्स में छूट ले सकते हैं, जिससे अपने टैक्स की कुशलतापूर्वक योजना बना सकें. 

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सैलरी स्लिप में बेसिक सैलरी से लेकर ग्रॉस सैलरी और कई तरह के बोनस भी मिलते हैं, जैसे-

  • कुल सैलरी का 50 फीसदी कर बेसिक सैलरी (Basic Salary) होता है, ये पैसा टैक्स योग्य होता है. बेसिक सैलरी के हिसाब से हाउस रेट अलाउंस दिया जाता है, जो कि 40 फीसदी तक HRA होता है.
  • महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी के एक फिक्स्ड पर्सेंटेज के रूप में भुगतान किया जाता है. आयकर अधिनियम के मुताबिक, प्राप्त किए गए DA की पूरी राशि पर ही टैक्स लागू होता है.
  • कहीं ट्रैवल करने के लिए कंपनी कन्वेंस अलाउंस (Conveyance Allowance) देती है, यानी जो पैसा खर्च हुआ, Cash In Hand सैलरी में जुड़कर मिलता है. बता दें कि 1600 रुपये तक कन्वेंस अलाउंस पर टैक्स नहीं लगता है.
  • लीव ट्रैवल अलाउंस को LTA भी बोलते हैं. यानी इम्प्लॉय या उसके परिवार का कोई सदस्य कहीं घूमने गए, तो कंपनी इसके लिए पे करती है. इसमें टैक्स नहीं लगता.
  • मेडिकल अलाउंस (Medical Allowance) कर्मचारी के बीमार पड़ने पर इलाज के खर्च के तौर पर कंपनी देती है.
  • इसके अलावा अलग-अलग कंपनी अपने कर्मचारियों के परफॉर्मेंस के आधार पर स्पेशल अलाउंस (Special Allowance) के रूप में कुछ राशि देती है. 

आपने देखा होगा कि सैलरी में से कंपनी कुछ राशि की कटौती करती है. उन्हें भी जानते हैं, जैसे- 

सबसे जरूरी पार्ट जो है, वो है प्रोविडेंट फंड (Provident Fund). ये आपकी बेसिक सैलरी और डीए यानी महंगाई भत्ता का 12 फीसदी का हिस्सा होता है. इसमें अलग से 12 फीसदी कंपनी भी देती है. कंपनी का 3.67 फीसदी EPF खाते में जाता है, जबकि बाकी का बचा हुआ 8.33 फीसदी पैसा पेंशन स्कीम (Pension Scheme) में जाता है.

इसके अलावा सैलरी का 10-30 फीसदी टीडीएस (TDS) के तहत काटा जाता है. किराया, कमीशन, प्रोफेशनल फीस, सैलरी और ब्याज आदि प्रकार के भुगतान से काटा जाता है. प्रोफेशनल टैक्स तो एनुअली 2500 तक काटने का नियम है. ये राज्य कर है, हालांकि आप इसके लिए दावा कर सकते हैं.

बता दें कि जो भी अलाउंस कंपनी देती है, ज्यादातर कंपनी में 1600 रुपये तक नॉन टैक्सेबल (Non-taxable) होता है. इससे ज्यादा राशि होने पर उस पर टैक्स लगता है.

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सीटीसी और ग्रॉस सैलरी में अंतर (Difference between CTC and gross salary)

CTC वह राशि होती है, जो किसी कंपनी/ संस्थान द्वारा साल में किसी इम्प्लॉय पर खर्च की जाती है. सीटीसी में सैलरी, पेंशन, पीएफ योगदान और अलाउंस आदि शामिल हैं. यह वेरिएबल है और ऐसे कई फैक्टर्स पर डिपेन्ड करती है, जिससे नेट सैलरी प्रभावित होती है.

वहीं, कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) से ग्रेच्युटी और एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) घटाकर जो राशि प्राप्त होती है, उसे ग्रॉस सैलरी कहा जाता है. इसे यूं समझें कि ग्रॉस सैलरी टैक्स या अन्य कटौती से पहले बची राशि होती है और इसमें बोनस, ओवरटाइम पे, हॉलिडे पे आदि शामिल होता है. 

इस तरह से समझिये इस गुणा-गणित को

मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलरी 20 हजार रुपये है, इसमें 4000 रुपये महंगाई भत्‍ता, 9000 रुपये हाउस रेंट अलाउंस और 1000 रुपये कन्वेयंस अलाउंस और 5000 रुपये अन्‍य अलाउंस के जोड़ दिए जाएं तो आपकी ग्रॉस सैलरी कुल 38,000 रुपये बनेगी.

ग्रॉस सैलरी से टैक्स, प्रोविडेंट फंड और आदि अन्‍य तरह की कटौती होने के बाद जो राशि आपको सैलरी के तौर पर मिलती है, उसे नेट सैलरी कहा जाता है. नेट सैलरी किसी कर्मचारी की टेक-होम सैलरी होती है यानी ये वो फाइनल राशि होती है, जो हर महीने कर्मचारी के अकाउंट में आती है.

विभिन्न कंपनियां अपने सैलरी स्लिप का अलग-अलग फॉर्मेट उपयोग करती हैं, जो बेसिक टेम्पलेट है, वो जानिये-

  • कंपनी का नाम, लोगो और पता, वर्तमान महीना और साल.
  • कर्मचारी का नाम, कर्मचारी कोड, डेजिग्नेशन, डिपार्टमेंट.
  • कर्मचारी पैन/आधार, बैंक अकाउंट नंबर.
  • ईपीएफ अकाउंट नंबर, यूएएन (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर).
  • कुल कार्य दिवस, प्रभावी कार्य दिवस, छुट्टियों की संख्या.
  • कमाई और कटौती की लिस्ट.
  • ग्रॉस पे और नेट पे. 

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