राजनीति में कभी भी, कुछ भी हो सकता है. विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले, त्रिपुरा (Tripura) में बड़ा उलटफेर दिखाई दिया है. मौजूदा सीएम बिप्लब देब ने अपने पद से इस्तीफा (Biplab Deb resigns) दे दिया. उनकी जगह अब प्रदेश की कमान डॉ. माणिक साहा (Manik Saha) के हाथ में होगी. अब सवाल ये उठता है कि जिस बिप्लब देब ने 2018 के विधानसभा चुनाव में BJP का परचम लहराकर, 25 साल तक रहे लेफ्ट फ्रंट (left front) के शासन को ध्वस्त कर दिया था, बीजेपी ने उसी शख्स को CM पद से हटाने का फैसला क्यों लिया ?
बिप्लब देब ने क्यों दिया इस्तीफा?
सीएम के इस्तीफे के कई कारण निकलकर सामने आ रहे हैं. पहला तो ये कि बिप्लब कुमार देब को लेकर त्रिपुरा बीजेपी में ही लगातार नाराजगी बढ़ रही थी. बिप्लब को उन्हीं की सरकार में विरोध का सामना करना पड़ रहा था. उनके विरोध में कई विधायकों ने दिल्ली (DELHI) तक के चक्कर लगाए. विधायकों ने संगठन और संगठन के नेताओं को साथ लेकर नहीं चलने के आरोप लगाकर 'दिल्ली दरबार' में शिकायत की.
दूसरा कारण ये कि अगले साल 2023 की शुरुआत में ही त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) अपने कदम त्रिपुरा की तरफ बढ़ा चुकी हैं. तृणमूल कांग्रेस (TMC) अब त्रिपुरा में तेजी से मजबूत हो रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी की अंतर्कलह को दूर करने और चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए बिप्लब से इस्तीफा लिया गया.
तीसरा और सबसे अहम कारण ये भी है कि बिप्लब कुमार देब से मनमुटाव के चलते 2 विधायक सुदीप राय (Sudeep Rai) और आशीष साह (Ashish Sah) कुछ महीने पहले पार्टी छोड़कर कांग्रेस (Congress) में शामिल हो गए थे. विधानसभा चुनाव होने में करीब 8 महीने बचे हैं. ऐसे में बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी, इसीलिए बिप्लब को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी.
चौथा कारण ये है कि त्रिपुरा से एक संदेश लगातार जा रहा था और वह ये कि बिप्लब, सरकार और संगठन के बीच तालमेल नहीं बना पा रहे हैं. जो लोग राजनीति की थोड़ी भी समझ रखते हैं, उन्हें चुनाव में बीजेपी के संगठन के महत्व और कार्यशैली का अच्छे से पता होगा. इसके साथ ही राज्य में BJP की सहयोगी पार्टी IPFT भी उनसे बहुत ज्यादा खुश नहीं थी.
बता दें कि इस्तीफे से एक दिन पहले ही बिप्लब कुमार देब ने गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) से मुलाकात की थी, माना जा रहा है कि शाह के कहने पर ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. इसके अलावा बिप्लब देब अपने बयानों को लेकर भी लगातार विवादों में रहे हैं.