गुरुवार यानी 22 सितंबर को देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA ने अपने इतिहास में सबसे बड़ी छापेमारी की. देश के 12 राज्यों में एक साथ हुई ये छापेमारी पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) या प्रचलित नाम PFI के ठिकानों पर हुई. एजेंसी ने इस दौरान संगठन के चेयरमैन ओएमए सलाम समेत 106 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया और दूसरे कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. NIA के मुताबिक PFI देश में आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देने और अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे रहा है. दो दिन पहले भी हिजाब मामले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हुई सुनवाई के दौरान भी PFI का नाम सामने आया था. ऐसे में ये जानना जरूरी बन जाता है कि आखिर PFI है क्या? इसे जानने से पहले एक वीडियो के कुछ अंश देखिए.
ये तस्वीरें बीते 17 सितंबर की है जब PFI ने पहली बार केरल के कालीकट (Calicut) शहर में समुद्र के किनारे अपनी परेड निकाली. जिसमें एक सुसंगठित संगठन की छाप दिखती है. PFI भी खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है. वैसे ये बात भी सही है कि देश में आई कई आपदाओं के वक्त PFI कार्यकर्ता आम लोगों की सहायता करते भी दिखे हैं.
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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI एक इस्लामिक संगठन है. इस संगठन की स्थापना साल 2006 में हुई थी. PFI की स्थापना नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट यानी NDF के उत्तराधिकारी के तौर पर हुई थी. इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है. शाहीन बाग वो इलाका है, जहां सीएए और एनआरसी के खिलाफ लंबा आंदोलन चला था. शुरुआत में PFI दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत देश के 23 राज्यों तक इसका विस्तार हो चुका है. केरल के कालीकट में PFI की जड़ें गहरी हैं. PFI को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया यानी सिमी का बी विंग कहा जाता है. सिमी पर साल 2006 में बैन लगा दिया गया था.
PFI सबसे पहले साल 2010 में चर्चा में आया था. उस वक्त PFI पर केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काटने के आरोप लगे थे. प्रोफेसर जोसेफ पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान के आरोप थे. जिसके बाद PFI कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट दिए थे.
सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में PFI पर सिर्फ झारखंड में बैन है. लेकिन केंद्र सरकार PFI पर शिकंजा कसने की तैयारी में है.
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