Iran Hijab Row: ईरान में हिजाब न पहनने पर पुलिस हिरासत (police custody) में 22 साल की महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत के बाद हंगामा पसरा हुआ है. देश के कई हिस्सों में महिलाएं प्रदर्शन (women protesting) कर रही हैं. मॉरल पुलिसिंग (moral policing) का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की फायरिंग (firing) में अबतक 5 लोगों की जान जा चुकी है और 80 से ज्यादा लोग घायल हैं. सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और अपने हिजाब उतार डाले. प्रदर्शन तेज होने के बाद पुलिस ने कई जगहों पर लाठीचार्ज किया है और आंसूगैस के गोले भी दागे हैं.
ईरान की वरिष्ठ पत्रकार मसीह अलीनेजाद (Senior Journalist Masih Alinejad) ने twitter पर महिलाओं के बाल काटते हुए एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘हिजाब पुलिस द्वारा महसा अमिनी की हत्या के विरोध में ईरानी महिलाएं अपने बाल काटकर और हिजाब जलाकर गुस्सा दिखा रही हैं.’
दरअसल 22 साल की महसा अमीनी को हिजाब ना पहनने की वजह से 13 सितंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. लेकिन 16 सितंबर को महसा अमिनी की मौत हो गई थी. कहा जा रहा है कि पुलिस हिरासत के दौरान महिला की पिटाई की गई, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. लेकिन पुलिस की दलील है कि महिला की मौत हार्ट अटैक (heart attack) की वजह से हुई है.
- घर से बाहर निकलने पर हिजाब पहनना जरूरी
- 7 साल से बड़ी लड़की को ढीला कपड़ा पहनना होगा
- चुस्त कपड़ों और जीन्स पहनने पर भी पाबंदी
- ज्यादा चमक-धमक वाले कपड़ों पर ईरान में ऐतराज
- सोशल मीडिया पर बिना हिजाब वाली तस्वीर की मनाही
- 10 दिन से लेकर 2 महीने तक की कैद
- 50 हजार से 5 लाख ईरानी रियाल तक का जुर्माना
- 74 कोड़े मारने तक की सजा मिल सकती है
अब सवाल ये है कि हिजाब पहनना महिलाओं की पसंद है, या इसे पहनना उनकी मजबूरी? शिया बहुल ईरान इस्लामिक राष्ट्र है. TV9 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ‘हिजाब’ अरबी भाषा का शब्द है, इसका अर्थ रुकावट और दीवार बताया गया है. मुस्लिम महिलाओं की ओर से सार्वजनिक जगहों पर अपना सिर ढकने के लिए जो परिधान पहना जाता है, उस परिधान को हिजाब कहते हैं. इसमें परिवार के कुछ सदस्यों के सामने इसकी जरूरत नहीं मानी गई है. माना जाता है कि सातवीं सदी में इस्लाम धर्म ने हर मुस्लिम महिला के लिए हिजाब करने को अनिवार्य बना दिया था.
अगर आप इंटरनेट पर 1979 से पहले के ईरान की तस्वीरें सर्च करेंगे तो आपको बिना हिजाब पहने महिलाएं दिख जाएंगी. कुछ लोग उसे मॉडर्न ईरान भी कहते हैं. साल 1979 के Islamic Revolution से पहले ईरान की कुछ महिलाएं उस समय के किंग का विरोध करने के लिए हिजाब पहनती थीं. लेकिन उन्हें क्या पता था बाद में इन्हीं महिलाओं पर ही इसे थोप दिया जाएगा. ईरान में सत्ता की शक्ल बदलते ही महिलाओं के मूल अधिकार को भी खत्म कर दिया गया, यहां इस्लामी पोशाक को लागू कर दिया गया.