केरल के मलप्पुरम (Malappuram, Kerala) से एक ऐसी शर्मनाक घटना सामाने आई है. जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है. आरोप है कि एक शिक्षक अपने स्कूल की छात्राओं का 30 सालों तक यौन शोषण करता रहा. आरोपी का नाम के.वी शशि कुमार (K.V Sasi Kumar) है, जो अब CPIM का नेता है.
पीड़ित छात्राओं ने आरोपी के काले कारनामे उजागर किए है. अब तक 75 छात्राएं सामने आ चुकी हैं. अंदाजा लगाया जा रहा कि 500 से अधिक छात्राओं का यौन शोषण हुआ है. मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को पॉक्सो के तहत गिरफ्तार कर जांच के आदेश दिए गए हैं.
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आरोपी के.वी शशि कुमार का इसी साल मार्च में रिटायरमेंट हुआ है. स्कूल ने शशि कुमार को रिटायरमेंट पर ‘ग्रैंड फेयरवेल’ दिया था. उसने सोशल मीडिया पर खुद को ‘आदर्श शिक्षक’ बताया. बस यहीं से मामले का खुलासा हुआ, इस पर एक छात्रा ने शशि कुमार का असली चेहरा उजागर कर दिया. उसके बाद कई छात्राओं ने आरोप लगाते हुए उन्हें पीडोफाइल यानी एक वयस्क जो बच्चों के लिए यौन रूप से आकर्षित होता है, बताया. इसके बाद धीरे-धीरे 75 छात्राओं ने आपबीती बताई. मामला बढ़ता देख CPIM ने उसे सस्पेंड कर दिया है.
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शशि कुमार के यौन शोषण कि शिकार ज्यादातर 9 से 12 साल की छात्राएं हैं. बच्चों में व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ावा देना, स्कूलों में बाल संरक्षण नीतियों और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए माता-पिता की बढ़ती जागरूकता बहुत जरूरी है. छोटे बच्चे अपना बचाव करने में सक्षम नहीं होते. ऐसे में पैरेंट्स खुद को सुनने लायक बनाएं. सबसे पहले बच्चों को ये भरोसा दिलाएं कि उनकी बात घर में सुनी जाएगी. बच्चे इस बात को समझते हैं कि अगर वे इस बारे में पैरेंट्स को बताएंगे तो उनका विश्वास नहीं किया जाएगा.
पैरेंट्स अपने बच्चों पर फोकस करें. बच्चों में इतना विश्वास जगाएं कि बच्चा अपनी बात कह सकें. अगर बच्चे की पिटाई हो रही है तो इस पर एक्शन लें. सबसे जरूरी बच्चों को चाइल्ड हेल्पलाइन (Child Helpline) के बारे में जरूर बताएं, और बच्चों को गुड टच, बैड टच का भी बता होना चाहिए.