ये वो सवाल हैं जो उत्तराखंड के युवा प्रदीप मेहरा (Pradeep Mehra) जैसे लाखों करोड़ों युवाओं के दिमाग में रात दिन घूम रहे हैं ... लेकिन इसका जवाब क्या है? क्यों ये सवाल भारत के बडे़ वर्ग के लिए बहुत बड़ा है , इसको समझने के लिए आपको आंकड़ों देखने होंगे.
भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फौज है ... (चीन की सेना में 21.83 लाख और भारत के पास कुल 14.44 लाख जवान हैं. ) सिर्फ इतना ही नहीं फौज भारत में दूसरी सबसे बड़ी नौकरी देने वाली संस्था है पहले नंबर पर रेलवे है. और यहीं से शुरु होता है मुद्दा. जिस देश में बेरोजगारी का आंकड़ा लागातार बढ़ता जा रहा है उस देश की दो सबसे बड़ी नौकरी देने वाली संस्थाएं भारतीय रेलवे और भारतीय सेना वक्त से नौकरी नहीं दे पा रही है .. जाहिर है ये नौकरी हासिल करने वाले युवाओं की संख्या काफी बड़ी है... इसलिए यूपी चुनाव में भी ये मुद्दा उठा और खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को इसका सामना करना पड़ा.
सेना में भर्ती का आलम यह है कि बहुत सारे युवा भर्ती रैली का इंतजार करते हुए ओवर ऐज हो गए हैं और कई युवाओं को ओवर ऐज होने का खतरा है. जबकि सेना में लगभग सवा लाख पद खाली हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं. पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने सदन के अंदर इस बात की जानकारी दी है. जिसके मुताबिक भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना में लगभग सवा लाख पद खाली हैं.
ये भी पढ़ें| The Kashmir Files: मैंने अपनी आंखों से इतिहास देखा, देश को तोड़ना चाहती है BJP- महबूबा मुफ़्ती
इसमें अफसर के पदों समेत कुल 1,04,653 पद केवल आर्मी के लिए हैं. यानि खाली पदों की कुल संख्या में 85 फीसदी हिस्सा केवल इंडियन आर्मी का है. सबसे कम रिक्तियां एयरफोर्स में हैं.
कहां कितने पद खाली?
सेना जवान उच्च अधिकारी
आर्मी 97,177 7,476
नेवी- 11,166 1265
एयरफोर्स 4850 621
मार्च 2021 के आंकड़ों से अगर जुलाई 2021 की तुलना की जाए तो कुल खाली पदों की संख्या में लगभग 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. मार्च महीने में डिफेंस सेक्टर में 1,07,505 पद खाली थे. जुलाई महीने में यह संख्या बढ़कर 1,21,726 हो गई.
सवाल यह है कि सेना के लिए इतने पद खाली हैं. फिर भर्तियां क्यों रुकी हुई हैं? 21 मार्च 2022 को सरकार ने संसद में इस सवाल का जवाब दिया है. जिसके मुताबिक कोविड महामारी की वजह से 2020-2021 में भारतीय थल सेना में भर्ती प्रक्रिया स्थगित की गई. क्या इसे आगे के लिए रोक दिया गया है? इस सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा को बताया कि इस पर रोक नहीं लगाई गई है.
आइए एक नजर डालते हैं कि नौसेना और वायुसेना में कितने पद खाली हैं. पहले बात नौसेना की. 2021-22 में 2,772 सीटें खाली थीं. जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा 5,547 था. वहीं वायुसेना में 2021-22 में 8,423 सीटें खाली थीं. जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा 4,609 था.
आखिरी बार थल सेना में भर्ती 2019-20 के लिए निकाली गई थी. जिसमें 80,572 भर्तियां की गयीं. इन दो सालों में रिटायरमेंट की वजह से बहुत सारे पद खाली भी हुए होंगे जिनकी गणना हमारे पास फिलहाल नहीं है. जब आप इस पूरे मामले में जवाब तलाशने जाते हैं तो पहली दलील दी जाती है कि दो साल से कोरोना है . वहीं आलोचक कहते हैं कि सरकार के पास पैसों की कमी है. समर्थन में 18 मार्च को बताया जाता है कि रक्षा बजट में 63 हजार करोड़ की कमी कर दी गयी है.
अगर इस दलील को माने की सरकार अपना खर्च कम कर रही है तो फिर हकीकत ये भी है कि युक्रेन रूस युद्ध ने भी सरकार के बजट को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. तेल के दाम ने पहले ही सरकार पर बोझ बढ़ा दिया है . ऐसे में अगर पैसे भर्ती रुकने के पीछे बड़ी वजह हैं तो फिर राहत मिलने में देर हो सकती है. लेकिन इसके उलट एक तर्क ये भी है कि सेना का आधुनिकीकरण हो रहा है जिससे सरकार फौज बढ़ाने की बजाए उन्हे मजबूत बनाने में पैसे खर्च कर रही है.
क्योंकि दल बल से नहीं आज का युद्ध साजो सामान और तकनीक से लड़ा जाता है. वैसे तर्क जो भी हो फिलहाल सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब सामने नहीं आया है. ऐसे में जवाब की तलाश में अटकलें ही हैं.