Jungle Fire: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग अब जानलेवा हो गई है. पौड़ी तहसील में 65 साल की एक महिला जंगल में आग बुझाने की कोशिश के दौरान झुलस गईं थीं जिन्हें ऋषिकेश AIIMS में लाया गया...लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. वहीं अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर में भी दो लीसा श्रमिकों की मौत हो गई है.
उत्तराखंड के जंगलों में लगी रुकने का नाम नहीं ले रही. कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा जिला आग लगने की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. जबकि गढ़वाल मंडल में पौड़ी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है.
वायुसेना से मांगी गई मदद
इस बीच पौड़ी जिले के DM ने जंगल की आग बुझाने के लिए वायुसेना से मदद मांगी है और एक पत्र लिखा है. इसके बाद भारतीय वायुसेना का विमान पौडी के लिए रवाना हो गया है.
ज्यादा आग कहां लगी ?
सबसे भीषण आग उन वनक्षेत्रों में लगी है जहां चीड़ के पेड़ हैं. गर्मी का मौसम होने की वजह से कई जंगलों में लीसा निकाला जा रहा है और यहां आग और तेजी से भड़क रही है. उत्तराखंड वन विभाग के मुताबिक, कुमाऊं मंडल में आग लगने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, वहीं गढ़वाल मंडल में भी आग लगने की काफी घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
कुमाऊं मंडल के प्रभावित इलाके
कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ में सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं सामने आई थी जहां फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं. इसके अलावा अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर जैसे जिलों के कई जंगली क्षेत्र भी आग की चपेट में आए थे जिनमें से बागेश्वर और चंपावत के अधिकांश इलाकों में आग पर काबू पा लिया गया है.
गढ़वाल मंडल के प्रभावित इलाके
वहीं गढ़वाल मंडल की बात करें तो यहां नरेंद्र नगर, उत्तरकाशी, मसूरी, कोटद्वार, टिहरी गढ़वाल, गोपेश्वर, रूद्रप्रयाग जैसे कई वन्यक्षेत्र आग की चपेट में आ चुके हैं. इनमें से कुछ जगहों पर आग पर काबू पा लिया गया है जबकि कुछ जगहों पर अभी भी आग धधक रही है. उत्तराखंड वन विभाग के मुताबिक, आग लगने से 749.6375 रिजर्व फॉरेस्ट एरिया (हेक्टेयर) प्रभावित हुआ है.
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