उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिवारों के लिए मंगलवार का दिन राहत की सांस लेकर आया. 10 दिनों से सुरंग में फंसे मज़दूरों ने पहली बार अपने परिजनों से बात करके कुछ राहत पाई है.सिल्कयारा सुरंग ढहने के बाद बचाव दल के अधिकारियों जारी कार्रवाई में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए मंगलवार सुबह 6 इंच चौड़ी पाइपलाइन के जरिए फंसे हुए श्रमिकों के साथ सफलतापूर्वक बातचीत के लिए संचार सुविधा स्थापित कर ली है.
फंसे हुए मजदूरों में से एक, जयदेव ने सुरंग ढहने वाली जगह पर सुपरवाइजर से बात करते हुए बांग्ला में कहा, “कृपया रिकॉर्ड करें, मैं अपनी मां को कुछ बताऊंगा. मां, टेंशन कोरोनी आमी थीक अची. टाइम ए खेहे नेबे. बाबाकेओ टाइम ए खेये नाइट बोल्बे (मां, मेरी चिंता मत करो, मैं ठीक हूं. कृपया आप और पिताजी समय पर खाना खाना).”
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पर्यवेक्षक को सुरंग के अंदर फंसे लोगों से चिंता न करने और उन्हें जल्द ही बाहर निकालने के लिए कहते हुए सुना गया. पर्यवेक्षक ने मजदूर से पूछा कि क्या वह अपने माता-पिता को कुछ कहना चाहते हैं क्योंकि आवाज़ रिकॉर्डिंग उसके माता-पिता को घर भेजी जाएगी. 12 नवंबर को सिल्क्यारा से बारकोट तक एक सुरंग के निर्माण के दौरान इसके 60 मीटर के हिस्से में मलबा गिरने के कारण 41 मजदूर फंस गए थे. ऐसा माना जाता है कि मजदूर 2 किमी बनी सुरंग के हिस्से में फंसे हुए हैं, जो कंक्रीट के काम से पूरा हो चुकी है, जो श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान कर रही है. सुरंग के इस हिस्से में बिजली और पानी की सुविधा है.