विरोधियों द्वारा 'मिस गाइडेड मिसाइल' का तमगा झेल रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार दोपहर अचानक पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका था. चरणजीत सिंह चन्नी के CM बनने के बाद ऐसा लगा कि पंजाब में कांग्रेस का कलह करीब-करीब खत्म हो गया है लेकिन कांग्रेस आलकमान की ये हसरत पूरी नहीं हुई.
सिद्धू ने सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा कि वे समझौता नहीं कर सकते. ऐेसे में सवाल ये है कि जब सबकुछ सिद्धू के मन मुताबिक ही हो रहा था तो वे किस तरह के समझौते की बात कर रहे हैं ?. आइए जानते हैं कैसे तैयार हुई इस्तीफे की पटकथा
1. कैप्टन अमरिंदर के हटने के बाद सिद्धू खुद CM बनना चाहते थे लेकिन आलाकमान ने पहले जाखड़ और फिर रंधावा का नाम आगे कर दिया. बाद में सिद्धू मजबूरी में चन्नी के नाम पर सहमत हुए.
2. चरणजीत सिंह चन्नी CM बने तो सिद्धू सुपर CM की तरह पेश आने लगे. कभी हाथ पकड़ते तो कभी कंधे पर हाथ रखते पर सरकार में उनकी अनसुनी होती रही.
3. चन्नी कैबिनेट में 4 ऐसे नाम शामिल हुए जो नवजोत सिद्धू को नापंसद थे. इसमें ब्रह्म मोहिंदरा, विजय इंद्र सिंगला और राणा गुरजीत शामिल हैं.
4. सिद्धू चाहते थे कि सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को पंजाब का नया DGP बनाया जाए लेकिन चन्नी ने इकबाल प्रीत सिंह सहोता को DGP बना दिया.
5. सिद्धू चाहते थे कि एडवोकेट डीएस पटवालिया पंजाब के नए एडवोकेट जनरल हों पर एपीएस देयोल को इस पर पद पर बैठा दिया गया
6. सिद्धू की चाहत थी कि गृह विभाग खुद CM चन्नी के पास रहे लेकिन आलाकमान ने सुखजिंदर सिंह रंधावा को ये विभाग सौंप दिया
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दरअसल चरणजीत सिंह चन्नी कैबिनेट की पहली बैठक में ही सिद्धू की नाराजगी सामने आ गई थी. रविवार को जब ये बैठक हुई तो परंपरा के मुताबिक सिद्धू को भी बुलाया गया लेकिन वे नहीं आए. जाहिर है संगठन से लेकर सरकार तक सब कुछ अपने कंट्रोल में रखने की चाहत पूरी नहीं होते देख नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने इस्तीफे का दांव चला है.