Omicron Special: वैज्ञानिक खोज रहे थे कुछ और मिल गया ओमिक्रॉन ! समझिए पूरा प्रोसेस

Updated : Dec 03, 2021 21:40
|
Editorji News Desk

पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Covid Variants Omicron) को लेकर दहशत में हैं. तमाम मुस्तैदी के बावजूद अब भारत में भी इस बेहद खतरनाक वैरिएंट ने दस्तक के दे दी है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट इससे ठीक पहले आए डेल्टा वैरिएंट का वारिस नहीं है बल्कि एक नए तरह का वायरस है.

ये डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) से 6 गुना ज्यादा संक्रमण फैला सकता है. परेशानी ये भी है कि इसका पता RT-PCR टेस्ट (RT-PCR Test) से नहीं चलता. इसके लिए जीनोम सीक्वेसिंग करनी पड़ती है. ऐसे में ये जानना दिलचस्प होगा कि आखिर नए वेरिएंट की खोज कैसे होती है?  ये जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) का चक्कर क्या है? सबसे पहले जान लेते हैं कैसे पता चला ओमिक्रॉन वैरिएंट का.

गायब जीन को खोज रहे थे वैज्ञानिक, मिला ओमिक्रॉन

  • नवंबर की शुरुआत में साउथ अफ्रीका के गाउटेंग राज्य में मिला ओमिक्रॉन
  • वैज्ञानिक लैब में एक गायब जीन का पता नहीं लगा पा रहे थे
  • कई म्यूटेशन की वजह से ये जीन पकड़ में नहीं आ रहा था
  • इसी दौरान गाउटेंग में सिरदर्द और थकान वाले मरीजों की संख्या बढ़ी
  • वैज्ञानिकों ने 77 सैंपल लिए और फिर उनकी सीक्वेंसिंग की गई
  • तब पता चल एक नए वैरिएंट का जो काफी म्यूटेट हो चुका था
  • WHO ने इसका नाम रखा B.1.1.529 यानी ओमिक्रॉन
  • 26 नवंबर को WHO ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया

ये भी पढ़े: Omicron Variant: आंध्रप्रदेश में विदेश से आए 30 यात्री ‘लापता’, 10 दिनों में लौटे हैं 60 लोग

गुरुवार यानी 3 दिसंबर तक ओमिक्रॉन वैरिएंट दुनिया के 30 देशों में फैल चुका था. परेशानी ये है कि इसका पता जीनोमी सीक्वेंसिंग से ही संभव है...ये पूरा प्रोसेस बेहद रोमांचक है. हालांकि इसे जानने से पहले हमें जानना होगा कि जीन, जीनोम और जीनोम सीक्वेंसिग होता क्या है?

क्या होते हैं जीन्स?

  • दुनिया में किसी भी जीव की बनावट उसके जीन से तय होती है
  • इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि आपकी शक्ल आपके पैरेंट्स से मिलती है
  • इसका मतलब है कि आपके शरीर के कुछ जीन आपके पैरेंट्स से मिलते हैं.

जीनोम किसे कहते हैं?

  • जीनोम का मतलब है किसी भी जीव का पूरा जेनेटिक कोड
  • हर जीवित चीज का जीनोम अलग-अलग होता है
  • दो जीवों कुछ जीन तो मिल सकते हैं लेकिन जीनोम अलग होते हैं

अब तक आप समझ गए होंगे की जीन और जीनोम किसे कहते हैं. लेकिन सबसे अहम है जीनोम सीक्वेंसिग क्योंकि दुनिया भर में वायरस के किसी भी प्रकार का पता इसी से चलता है. लिहाजा समझ लेते हैं इस अहम चीज को

क्या है ये जीनोम सीक्वेंसिंग?

  • जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी जीव का बायोडेटा होता है
  • इससे उसके रंग-रूप के साथ-साथ व्यवहार का भी पता चलता है
  • जीनोम की स्टडी के लिए वैज्ञानिक इसे एक कोड में बदल देते हैं
  • इस कोड को पता करने की तकनीक को ही जीनोम सीक्वेसिंग कहते हैं
  • दुनिया भर में वायरस के सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग चलती रहती है
  • जब किसी जीनोम कोड में कुछ बदलाव दिखता है तो उसे नया वैरिएंट कहते हैं

अब लगे हाथ ये भी जान लेते हैं कि भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग की क्या स्थिति है? दरअसल भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2020 को कोरोना की जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए एक फोरम बनाया.

इसका नाम INSACOG यानी Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics रखा गया. ये देशभर में मौजूद जीनोम सीक्वेंसिंग लैब्स के कंसोर्टियम की तरह काम करता है. इसके तहत देशभर में 10 प्रयोगशालाएं काम करती हैं.

Omicron VariantOmicron

Recommended For You

editorji | एडिटरजी स्पेशल

SPECIAL: रंगभेदी बयानों के बाद Sam Pitroda का इस्तीफा, कांग्रेस नेता का विवादों से रहा है पुराना नाता

editorji | एडिटरजी स्पेशल

SPECIAL STORY: अरबों की कंपनी के मालिक अब जेल में काट रहे दिन, कहानी सुभिक्षा के फाउंडर R Subramanian की

editorji | एडिटरजी स्पेशल

Mumps: बच्चों पर मंडरा रहा 'काल' , क्या है Mumps और इसके लक्षण ? जानें बचने का तरीका

editorji | ख़बर को समझें

Baat Aapke Kaam Ki: घरेलू सामानों की सस्ते में होगी रिपेयरिंग, जानें क्या है Right to Repair Act?

editorji | ख़बर को समझें

Baat Aapke Kaam Ki: 16 मार्च से Paytm-Wallet में डिपॉजिट बंद; यूजर जानें क्या चलेगा क्या नहीं?