Twenty years of 9/11: जानिए वो कारण जिनकी वजह से ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे ट्विन टावर्स

Updated : Sep 11, 2021 01:07
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Editorji News Desk

11 सितंबर 2001
ये वो तारीख है जिसे ना केवल अमेरिका बल्कि आतंक के खिलाफ जंग लड़ रहा दुनिया का कोई मुल्क़ कभी नहीं भुला सकता. इस दिन अमेरिका के नागरिकों एक ऐसा हमला झेला जिसके जख़्म आज तक ना केवल हरे हैं बल्कि रिस भी रहे हैं. न्यूयॉर्क वासियों के लिए वो एक आम सुबह थी लेकिन सिर्फ 8.45 मिनट तक के लिए. शहर की दो सबसे ऊंची इमारतों में से पहली के साथ विमान इसी समय टकराया था. सुबह के 10.28 मिनट पर महज़ 11 सेकेंड में ये 110 मंज़िला इमारत मलबे के ढेर में तब्दील हो गई. ऐसा ही इसकी साथ खड़ी इसकी दूसरी विंग के भी साथ हुआ. 09.03 बजे दूसरे ट्विन टावर से विमान टकराया और 9 सेकेंड के भीतर ये इमारत भी धुल के गुबार से ज्यादा कुछ नहीं थी.

हमले के बाद सवाल उठे कि इतनी मजबूत संरचना आखिर ताश के पत्तों की तरह बिखरी तो बिखरी कैसे. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के एक जांच दल ने इसका पता लगाया और उनकी फाइंडिंग्स में जो सामने आया वो ये था कि- 

  • विमानों के टकराने से दोनों ही इमारतों का ढांचा तहस-नहस हो गया था
  • इमारतें बोइंग 707 की टक्कर झेल लेने लायक थीं लेकिन इनसे टकराए बोइंग 767
  • दोनों विमाओं में 37,850 लीटर से अधिक ईंधन था, यानी ये हवा में उड़ते बम थे
  • टक्कर के बाद इमारत में फैले तेल से आग तेजी से फैली
  • उस दिन हवा भी तेज थी जिस कारण आग को फैलने में मदद मिली
  • आग के कारण इमारत में तापमान 1000 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया
  • विमानों की टक्कर ने इमारतों के fire extinguisher system को बर्बाद कर दिया था

जांच दल का कहना था कि अगर उस दिन इमारत में आग ना फैली होती तो तो शायद इमारतें इस तरह से ना भी ढहती. हालांकि यहां ये कहना भी गलत नहीं होगा कि इस हमले ने कई देशों के रिश्तों, राजनयिक संबंधों और कुछ ख़ास लोगों को लेकर कायम धारणाओं को भी ढहा दिया था. बावजूद इसके एक चीज जो उस समय भी अडिग रही... और आज भी कायम है वो है अमेरिकियों का खुद पर विश्वास और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में आतंक को झेल रहे आम लोगों का हौसला.

ये भी पढ़ें: 20 years of 9/11: हमले के 20 साल बाद भी अमेरिका के नहीं भरे हैं जख्म, आज भी मर रहे हैं 9/11 के बचावकर्मी

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