मंगलवार शाम पश्चिम बंगाल (West Bengal Election) में दूसरे चरण के मतदान (Second Phase) के लिए चुनाव प्रचार थम गया. पहले चरण की तरह ही 1 अप्रैल को दूसरे चरण में भी विधानसभा की 30 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
इन 30 सीटों में से दक्षिण 24 परगना की 4, पश्चिम मेदिनीपुर की 9, बांकुड़ा की 8 और पूर्व मेदिनीपुर की 9 सीटों पर मतदान होना है. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस यानी TMC ने इनमें से 22 यानी 73% सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार उसके लिए राह इतनी आसान नहीं है. यही कारण है कि बांकुड़ा जिले की आठ सीटों में से ममता बनर्जी ने सात उम्मीदवारों को बदल दिया और नये लोगों को टिकट दिया है. इतना ही नहीं पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर जिले की 18 सीटों पर TMC ने 10 उम्मीदवारों को बदल डाला है.
बंगाल चुनाव के इस दौर पर पूरे देश की नजर है, क्योंकि इस फेज में कई ऐसी हाई-प्रोफाइल सीटें हैं जिनपर टक्कर पूरे राज्य के चुनाव से अधिक रोमांचक हैं. मसलन नंदीग्राम सीट (Nandigram) जहां खुद ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) का मुकाबला उनके पुराने सहयोगी और अब बीजेपी के पोस्टर बॉय सुवेंदु अधिकारी (suvendu Adhikari) से है. डेबरा विधानसभा सीट पर भी रोचक मुकाबला है, यहां दो पूर्व IPS अधिकारी भारती घोष और हुमायूं कबीर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा साबंग में TMC के हेवीवेट उम्मीदवार मानस भुइंया के खिलाफ BJP ने टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए अमूल्य माइति को उतारा है.
इस चरण में जातिगत समीकरण भी काफी महत्वपूर्ण हैं, लिहाजा चाहे TMC हो या बीजेपी दोनों ही दलों ने उम्मीदवारों के चुनाव से लेकर अपने प्रचार कार्यक्रम तक में इसका पूरा ख्याल रखा है. जिन 30 सीटों पर वोटिंग होगी वहां 24 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति, पांच फीसदी अनुसूचित जनजाति और 13 फीसदी मुसलमान हैं. इसका मतलब है कि हर चार मतदाताओं में से एक मतदाता अनुसूचित जाति का है.