अपनी टूटी टांग के साथ व्हील चेयर पर ही सही ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) फिर से राइटर्स बिल्डिंग की चौखट लांघने के लिए तैयार हैं. दीदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बंगाल का दादा कोई है तो वो ही हैं...
तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बंगाल की इस शेरनी ने अपनी जीत की भूख को न सिर्फ पूरी की बल्कि तीसरी बार सत्ता में वापसी का करिश्मा भी कर दिखाया. वो भी तब जब नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) की चुनाव-दर-चुनाव जीतने वाली जोड़ी उनके सामने थी...
वैसे तो देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं लेकिन सबसे कड़ा मुकाबला बंगाल में था....पूरे देश की निगाह इस पर टिकी हुई थी...देश के PM से लेकर HM तक ने यहां अपनी पार्टी के लिए पूरा जोर लगा रखा था...इस चुनाव में BJP ने धनबल और संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल किया...इसके अलावा ममता के सामने 2019 आम चुनावों के बाद सूबे में BJP की बढ़ती धमक भी बड़ी चुनौती थी. तब BJP ने 40 फीसदी वोट हासिल किए थे...लेकिन ममता को पता था कि खेल को कैसे अपने पाले में करना है...
मोदी-शाह (Modi-Shah) की जोड़ी से वे अकेले लड़ीं...उनके ही मैदान पर जाकर उनके खिलाफ गोल दागे...परिणाम ये रहा कि मिदनापुर, जंगलमहल और मालदा जैसे इलाको में जहां राजनीतिक पंडित TMC को कमजोर बता रहे थे वहां भी उन्होंने अपने पक्ष में हवा बना ली
जाहिर है ममता ने न सिर्फ बंगाल की जंग जीती है बल्कि अब वे देश में विपक्ष की सबसे बड़ी नेता भी बनकर उभरी हैं. अब वे देश में एंटी बीजेपी अभियान की अगुआ बनती दिखाई देती हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए...