केंद्रीय कैबिनेट (central cabinet) ने 2 जून को मॉडल टेनन्सी एक्ट (Model Tenancy Act) यानि आदर्श किरायेदारी अधिनियम को मंजूरी दे दी है. इसके बाद केंद्र सरकार (central government) ने सर्कुल जारी कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे इसके हिसाब से अपने राज्यों में नया कानून लाएं या मौजूदा कानूनों में बदलाव करें. इस नए एक्ट में मकान मालिक (Landlord) और किराएदारों के बीच मतभेद को कम करने की कोशिश की गई है.
सरकार ने कहा है कि इसके जरिए बहुत से खाली घर किराये पर चढ़ाए जा सकेंगे, घरों की कमी दूर होगी और प्राइवेट प्लेयर्स को बिजनेस भी मिलेगा.
आइए आपको बताते हैं कि इस एक्ट की क्या खास बातें हैं...
- मॉडल टेनेंसी एक्ट का उद्देश्य देश में एक जीवंत, टिकाऊ और समावेशी रेंटल हाउसिंग मार्केट बनाना है. इसका मकसद सभी आय वर्ग के लिए रेंटल घर मुहैया कराना है ताकि घरों की किल्लत दूर हो.
- इसका मकसद रेंटल हाउसिंग को संस्थागत करना है.
- इसके तहत एक रेंट अथॉरिटी बनेगी जो रेंट से जुड़े सभी मामलोंको देखेगी. इसका काम मकान मालिक और किराएदार दोनों के हितों की रक्षा करना होगा और जल्द से जल्द विवादों का निपटारा करना इसकी जिम्मेदारी होगी.
- सेक्युरिटी डिपॉजिट पर अक्सर विवाद होता है. एक्ट में साफ कहा गया है कि रेसिडेंशियल जगह के लिए ये अधिकतम 2 महीने का किराया होगा जबकि नॉन रेसिडेंशियल जगहों के लिए अधिकतम 6 महीना.
- घर या दुकान को खाली कराने पर इसमें कहा गया है कि अगर मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट के सभी कंडीशन को पूरा किया है जैसे कि खाली करने से पहले नोटिस देना, और फिर भी अगर किराएदार मकान या दुकान खाली नहीं करता है तो मकान मालिक किराया दो महीने के लिए डबल कर सकता है, फिर भी खाली नहीं होता है तो किराया दो महीने बाद चार गुना कर सकता है.
- मकान मालिक किराए वाले मकान या दुकान में नोटिस देकर जाएं, एक दिन पहले लिखित में या इलेक्टऑनिक माध्यम से बताएं.
इसके अलावा इस नए एक्ट में मकान मालिक और किराएदार दोनों के ही अधिकारों और जिम्मेवारियों को लेकर खुलासा किया गया है. साथ ही बहुत सी और दूसरी बातों को लेकर बताया गया है जिनपर विवाद होता है.